Monday 17 November 2014

कालाधन

रोटी -कपड़ा और माकन के 
चक्रव्यूह में फंसकर सारा जीवन ख़त्म किया 
एक पल भी यह न सोचा
मेरे मातृभूमि का क्या हुआ। 

देश की खातिर जो शहीद हुए 
रोटी- कपड़ा और माकन के 
चक्रव्यूह में उलझ कर 

उनको भी हम भूल गए।

क्रंदन सुनो, भारत माता की
रो- रो कर ,वह पूछ रही
सत्ता -शासन मिलते ही तुम
भारतवासी को क्यों भूल गये
देश को लूटने वाला ,आज भी
आजाद कैसे घूम रहे।

कालाधन सिर्फ धन नहीं है
जो सिर्फ वापिस आएगा
जिसने भी भारत के वैभव को लूटा
उसको तुम फांसी दो
हंस सके हर भारतवासी
ऐसी तुम आजादी दो .......
भाई -भाई को प्रेम करें

दौलत की खातिर न ,हत्या हो
ऐसा वैभवशाली,भारत बनाओ
जहाँ साथ - साथ सब
गीता -कुरान -बाइबिल -ग्रन्थ पढता हो
ऐसा तुम भारत निर्माण करो ,जहाँ एक साथ सब
गीता -कुरान -बाइबिल -ग्रन्थ पढता हो ......

                                                  ललित "सुमन "
                                       चीफ एडिटर "दैनिक इंडिया दर्पण "

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