Wednesday 28 August 2013

'कृष्ण' एक मानवीय शक्ति

हाल ही में एक भारतवंशी ब्रितानी शोधकर्ता ने खगोलीय घटनाओं और पुरातात्विक व भाषाई साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि भगवान कृष्ण हिंदू मिथक और पौराणिक कथाओं के काल्पनिक पात्र न होते हुए एक वास्तविक पात्र थे। सच्चाई भी यही है। ब्रिटेन में न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ़ मनीष पंडित ने अपने अनुसंधान में बताया है कि टेनेसी के मेम्फिस विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर डॉ़ नरहरि अचर ने खगोल विज्ञान की मदद से महाभारत युद्घ के काल का पता लगाया है। कृष्ण का जन्म 3112 बीसी में हुआ। डॉ़ पंडित द्वारा बनाई गई दस्तावेजी फिल्म ‘कृष्ण इतिहास और मिथक’ में बताया गया है कि पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत की लड़ाई ईसा पूर्व 3067 में हुई थी। इन गणनाओं के अनुसार कृष्ण का जन्म ईसा पूर्व 3112 में हुआ था, यानी महाभारत युद्घ के समय कृष्ण की उम्र 54-55 साल की थी। महाभारत में 140 से अधिक खगोलीय घटनाओं का विवरण है। इससे स्पष्ट होता है कि कृष्ण कोई अलौकिक या दैवीय शक्ति न होकर एक मानवीय शक्ति थे।

कृष्ण बाल जीवन से ही जीवनपर्यंत सामाजिक न्याय की स्थापना और असमानता को दूर करने की लड़ाई दैव व राजसत्ता से लड़ते रहे। वे गरीब की चिंता करते हुए खेतीहर संस्कृति और दुग्ध क्रांति के माध्यम से ठेठ देशज अर्थव्यवस्था की स्थापना और विस्तार में लगे रहे। सामारिक दृष्टि से उनका र्शेष्ठ योगदान भारतीय अखंडता के लिए उल्लेखनीय रहा। कृष्ण जड़ हो चुकी उस राज और देव सत्ता को भी चुनौती देते हैं, जो जन विरोधी नीतियां अपनाकर लूट तंत्र और अनाचार का हिस्सा बन गए थे? भारतीय लोक के कृष्ण ऐसे परमार्थी थे जो चरित्र भारतीय अवतारों के किसी अन्य पात्र में नहीं मिलता। कृष्ण की विकास गाथा अनवरत साधारण मनुष्य बने रहने में निहित रही। 16 कलाओं में निपुण इस महानायक के बहुआयामी चरित्र में वे सब चालाकियां बालपन से ही थीं, जो किसी चरित्र को वाक्पटु और उद्दंडता के साथ निर्भीक नायक बनाती हैं, लेकिन बाल कृष्ण जब माखन चुराते हैं तो अकेले नहीं खाते, अपने सब सखाओं को खिलाते हैं और जब यशोदा मैया चोरी पकड़े जाने पर दंड देती हैं तो उस दंड को अकेले कृष्ण झेलते हैं। चरित्र का यह प्रस्थान बिंदु किसी उदात्त नायक का ही हो सकता है।


कृष्ण का पूरा जीवन समृद्घि के उन उपायों के विरुद्घ था, जिनका आधार लूट और शोषण रहा। शोषण से मुक्ति, समता व सामाजिक समरसता से मानव को सुखी और संपन्न बनाने के गुर गढ़ने में कृष्ण का चिंतन लगा रहा। इसीलिए कृष्ण जब चोरी करते हैं, स्नान करती स्त्रियों के वस्त्र चुराते हैं, खेल-खेल में यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कालिया नाग का मान र्मदन करते हैं, उनकी वे सब हरकतें अथवा संघर्ष उत्सवप्रिय हो जाते हैं। नकारात्मकता को भी उत्सवधर्मिता में बदल देने का गुर कृष्ण चरित्र के अलावा दुनिया के किसी इतिहास नायक के चरित्र में विद्यमान नहीं हैं?


भारतीय मिथकों में कोई भी कृष्ण के अलावा ईश्वरीय शक्ति ऐसी नहीं है जो राजसत्ता से ही नहीं उस पारलौकिक सत्ता के प्रतिनिधि इन्द्र से विरोध ले सकती हो जिसका जीवनदायी जल पर नियंत्रण था? यदि हम इन्द्र के चरित्र को देवतुल्य अथवा मिथक पात्र से परे मनुष्य रूप में देखें तो वे जल प्रबंधन के विशेषज्ञ थे, लेकिन कृष्ण ने रूढ़, भ्रष्ट व अनियमित हो चुकी उस देवसत्ता से विरोध लिया, जिस सत्ता ने इन्द्र को जल प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी हुई थी और इन्द्र जल निकासी में पक्षपात बरतने लगे थे। किसान को तो समय पर जल चाहिए अन्यथा फसल चौपट हो जाने का संकट उसका चैन हराम कर देता है। कृष्ण के नेतृत्व में कृषक और गौ पालकों के हित में यह शायद दुनिया का पहला आंदोलन था, जिसके आगे प्रशासकीय प्रबंधन नतमस्तक हुआ और जल वर्षा की शुरुआत किसान हितों को दृष्टिगत रखते हुए शुरू हुई।


आज नारी नर के समान स्वतंत्रता और अधिकारों की मांग कर रही है, लेकिन कृष्ण ने तो औरत को पुरुष के बराबरी का दर्जा द्वापर में ही दे दिया था। राधा विवाहित थी, लेकिन कृष्ण की मुखर दीवानी थी। ब्रज भूमि में स्त्री स्वतंत्रता का परचम कृष्ण ने फहराया। जब स्त्री चीर हरण (द्रोपदी प्रसंग) के अवसर पर आए तो कृष्ण ने चुनरी को अनंत लंबाई दी। स्त्री संरक्षण का ऐसा कोई दूसरा उदाहरण दुनिया के किसी भी साहित्य में नहीं है? इसीलिए वृंदावन में यमुना किनारे आज भी पेड़ से चुनरी बांधने की परंपरा है। जिससे आबरू संकट की घड़ी में कृष्ण रक्षा करें।



प्रमोद भार्गव

Saturday 3 August 2013

भारत की आंखों से दुनिया देखेगी ब्रह्मांड

बेंगलुरु।।सौ.  इकनॉमिक टाइम्स |जब टी. हरि ने 1.2 अरब डॉलर के थर्टी मीटर टेलीस्कोप (टीएमटी) के बारे में सुना, तो उन्हें इसमें बिजनेस की भरपूर संभावनाएं दिखीं। मुरली पांडिचेरी की कंपनी जनरल ऑप्टिक्स एशिया लिमिटेड (गोल) को हेड करते हैं। यह स्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए खास कंपोनेंट बनाती है। हालांकि, इसके लिए कॉन्ट्रैक्ट प्रॉजेक्ट में पार्टनर देश की कंपनियों को दिया जा रहा था। ऐसे में हरि कुछ नहीं कर सकते थे। पिछले हफ्ते उनकी यह दिक्कत दूर हो गई, जब इंडिया इस प्रॉजेक्ट में 10 फीसदी यानी 1,000 करोड़ रुपए का पार्टनर बना। अब तीन भारतीय कंपनियां- गोल, बेंगलुरु की अवसराला और गोदरेज ऐंड बॉयस टेलीस्कोप के लिए 700 करोड़ के कंपोनेंट बनाएंगी। यह जानकारी सरकारी अधिकारियों ने दी है।

ये कंपनियां हवाई में लगने वाले टेलीस्कोप के लिए जरूरी कंपोनेंट बनाएंगी। एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में यह अब तक के अहम प्रॉजेक्ट्स में से एक माना जा रहा है। इस टेलीस्कोप के लिए ऐसी टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होगा, जो अभी हैं ही नहीं। मुरली ने कहा, 'इससे ऐसी टेक्नॉलजी डिवेलप करने में मदद मिलेगी, जो दुनिया के कुछ देशों के पास होगी।' इस प्रॉजेक्ट में अमेरिका, जापान, चीन और कनाडा भी पार्टनर हैं। अब तक जितने बड़े टेलीस्कोप बने हैं, टीएमटी उनसे तीन गुना बड़ा होगा। यह सबसे महंगा भी होगा। इस तरह के कई टेलीस्कोप दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लगाने की योजना बन रही है। यह वैसे ऑब्जेक्ट्स की भी तस्वीर ले सकेगा, जो अभी संभव नहीं है।

दूसरे स्टार के प्लैनेट की इमेज भी कैप्चर कर सकेगा। इससे यूनिवर्स के बारे में हमारी समझ बेहतर होगी। भारत सरकार इस प्रॉजेक्ट में टीएमटी इंडिया नाम की एजेंसी के जरिए 1,000 करोड़ रुपए इन्वेस्ट करेगी। यह प्राइवेट कंपनियों को रुपए में पेमेंट करेगी। भारतीय कंपनियां जो कंपोनेंट बनाएंगी, उन्हें पहले अमेरिका के पासाडेना भेजा जाएगा। वहां से ये पार्ट्स हवाई भेजे जाएंगे, जहां टेलीस्कोप बनाया जा रहा है। 30 मीटर का टेलीस्कोप बनाना हंसी का खेल नहीं है। इसके लिए 30 मीटर के डायमीटर वाले सिंगल मिरर की जरूरत पड़ेगी। इसलिए पहले मिरर को कंपोनेंट में बांटा जाएगा।

एमिरेट्स एयरलाइंस ने स्पाइस जेट को दिया झटका

दुबई।। दुबई बेस्ड एमिरेट्स एयरलाइंस ने उन खबरों को सिरे से खारिज किया है, जिनमें कहा जा रहा था कि एमिरेट्स और स्पाइस जेट के बीच स्टेक खरीदने पर बातचीत चल रही है। एमिरेट्स ने आधिकारिक तौर पर कहा कि हमारा पूरा फोसक खुद का बिजनेस बढ़ाने पर है। एमिरेट्स ने उन उड़ती खबरों के बारे में कहा कि इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। एमिरेट्स एयरलाइंस के प्रवक्ता ने डेली न्यूज पेपर 'खलीज टाइम्स' से कहा कि स्पाइस जेट में स्टेक खरीदने की हमारी कोई योजना नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि हम खुद का बिजनस बढ़ाने में लगे हैं, ऐसे में इंडियन एयरलाइंस स्पाइस जेट में स्टेक खरीदने का सवाल ही नहीं उठता। 

एमिरेट्स के इस बयान से पहले यह खबर गर्म थी कि स्पाइस जेट में एमिरेट्स ने स्टेक खरदीने के लिए हरी झंडी दिखा दी है। लेकिन इससे जुड़ी सारी खबरें गुमनाम सोर्स से चल रही थीं। पिछले हफ्ते उन अफवाहों को और बल मिला जब स्पाइस जेट के सीईओ नील मिल्स ने इस मिडल ईस्ट एयरलाइंस द्वारा स्टेक खरीदने की संभावना जताई थी। 

जेट एयरवेज और अबू धाबी की ऐत्तिहाद के बीच हुए समझौते से इस खबर को और हवा मिली थी। जेट-एत्तिहाद डील किसी भारतीय एयरलाइंस में पहली बार कोई फॉरन एयरलाइंस का इन्वेस्टमेंट है। देश की प्रमुख एविएशन कंपनी जेट एयरवेज ने 24 फीसदी हिस्सेदारी एत्तिहाद एयरवेज को 2,058 करोड़ रुपए में बेचने के प्लान की घोषणा की थी। कंपनी ने हिस्सेदारी बेचने के इस प्लान को स्ट्रैटेजिक अलायंस बताते हुए कहा था कि इससे कंपनी को अपना ग्लोबल नेटवर्क बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी।

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