"प्रभु आये थे ,दे गए संदेश "
सूर्य भी उगता है ,हमारे इशारे पे
चन्दन भी उगता है हमारे इशारे पे
अस्त होने से पहले ,पुछता है
अस्त हो जाऊं "सुमन ".
हम तो कहते है यारो
हम भी चलते है किसी के इशारे पर
वह खुदा है ,वह ख़ुदा है ........
तुमने देखा है ईश्वर को
क्या तुमने देखा है अल्ला को
तुमने देखा है गुरुगोविंद को
क्या तुमने देखा है ईसा को
यह सिर्फ एक ,विश्वास व आस्था है
फिर तुम्हे अपने
नेक कर्मो पर विश्वास
क्योँ नहीं अपने
कर्म फलो पर
आस्था क्यो नहीं।
मंदिर -मस्जिद,चर्च
गुरुद्वारा के नाम पर
तू लड़ता है
इसी पर तू मरता है
एक दूसरे से करता है तू नफरत
लेकिन सभी प्रभु ने तो प्यार का सुनाया है पैगाम।
क्यों नहीं ,तुम्हे अपने कर्मो पर विश्वास
क्यों नहीं ,रखता 'कर्मफल ' पर आस्था
कब -तक, नफरत फैलाते रहोगे
देवो के अस्तित्व पर ,सवालिया निशान लगाकर
हमने ईश्वर,अल्ला,वाहेगुरु व ईसा को देखो है
वे कह रहे थे तू मेरा यह पैगाम जन-जन तक पंहुचा दे ,
जो जाति -पात ,ऊच-नीच व क्षेत्रीयता फैलता है
वो पुरुषोत्तम राम नहीं ,मानवता का दुश्मन रावण है।
बड़े आहत थे अल्ला वाहे गुरु ईसा
कह रहे थे ,इन्हे मेरा पैगाम सुना दो
हमने प्यार करना दीन दुखियों को
मदद करना ,बीमारो की सेवा करने का
सन्देश दिया था ,अत्याचार ,दोहन ,शोषण
के खिलाफ संघर्ष किया था ,हमने कभी
नफरत का पैगाम नहीं दिया ,फिर
हमारे नमो का इस्तेमाल कर ये मुर्ख
क्योँ मानवता की धज्जियाँ उड़ा रहे है ,
देना उन्हें यह पैगाम अगर पडोसी भूखा
सो रहा है और तुम भले स्वादिष्ट व्यंजन समझ
कर खा रहे हो तो वह भोजन तुम्हारे लिए विष है,
देना उन्हें यह पैगाम अगर कोई लाचार
कराह रहा है और तुम हंस रहे हो तो समझो
तुम मेरा उपहास उड़ा रहे हो ,अगर
वास्तव में तुम्हे ईश्वर -अल्ला -वही गुरु व ईसा
से प्रमे है ,उनपर विश्वास है ,धर्म में आस्था है
तो यह प्रतिज्ञा करो
जाति धर्म ,वर्ग ,भेद के नाम पर हम
नहीं लड़ेंगे ," मानवता " की रक्षा खातिर मरना पड़ा
तो हम मरेंगे ,सत्य -अहिंसा के पथ पर चलकर
प्रभु तेरी चरणों में हम आयेंगे,प्रभु चरणो में अपना
जीवन ,सादाजीवन -उच्च विचार के साथ बिताएंगे।
प्रभु आये और अपना सन्देश दे गये ,हमने
तुम्हे बता दिया ,बाकीं अब तुम्हारी इच्छा।
ललित "सुमन"
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